

जी हां आपने सही पढ़ा और सही समझा पर माजरा यहां मौत का नहीं बल्कि मामला न्यायलय का है, जो जमीन से जुड़ा है जहां की न्याय करने वाला ही अपने पद और गरिमा का गलत इस्तेमाल कर फैसला भूमाफिया के नाम कर दिया ।।

पत्थलगांव राजस्व अनुविभागीय अधिकारी की अनोखी कहानी सुनिए हमारी जुबानी
पत्थलगांव :– जी हां जो हेड लाइन आप पढ़ रहे हैं वो एक कहानी ही नहीं बल्कि एक सच्ची घटना पर आधारित है जहां की आदिवासी मुख्यमंत्री के जिले में ही भूमाफियों का हौसला अधिकारियों के साथ सांठ गांठ कर एक आदिवासी की जमीन को फर्जी तरीके से उससे छीन लिया गया ।।
मामला जशपुर जिले के पत्थलगांव तहसील का है जहां की कई सालों से लंबित पैतृक जमीन का मामला पत्थलगांव के एस डी एम कोर्ट में चल रहा था प्रार्थी शिव प्रसाद सिदार का कहना है कि शिव प्रसाद सिदार ने अपने जमीन को बेचा भी नहीं और जमीन उनके नाम से हटकर जमीन भूमाफिया अरुण अग्रवाल के सारथी महेश सिंग के नाम फर्जी तरीके से कूटरचना कर सारथी महेश सिंह के नाम पर चली गई,मामले का पता लगते ही प्रार्थी शिव प्रसाद सिदार ने अपने पूरे परिजन के साथ न्यायालय पहुंच कर शिकायत दर्ज करवाई किन्तु सालों बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई ना तो जमीन वापस मिली और ना ही शिव प्रसाद सिदार के हक में कोई फैसला आया वर्षों से राजस्व में लंबित मामले ने शिव प्रसाद सिदार को तब झकझोर के रख दिया जब शिव प्रसाद सिदार का सुनवाई तारीख से ठीक एक दिन पहले ही सुनवाई कर दिया गया और प्रार्थी शिव प्रसाद सिदार का केस खारिज कर दिया गया जानकारी मिलते ही आनन फानन में जब शिव प्रसाद सिदार ने प्रशासनिक अधिकारी पत्थलगांव एस डी एम रितु राज सिंग बिसेन से पूछा तो एस डी एम ने अपने किए फैसले पर अटल रहना बताया पत्थलगांव एस डी एम रितु राज सिंग बिसेन का कहना था कि आज तक मै जहां भी रहा मैने पहले भी ऐसे फैसले किए पर आज तक कोई भी फैसले को लेकर दुबारा सुध नहीं लिया गया निराश प्रार्थी अब दर दर की ठोकर खाने पर मजबूर ।।
प्रार्थी का आरोप :–
लंबे समय से चल रहे जमीनी मामले में एस डी एम साहब ने ऐसा क्या देख लिया कि समय और दिए तारीख से पहले ही बिना किसी के अनुपस्थिति में बिना जानकारी दिए फैसला सुना दिया ।।
पत्थलगांव एस डी एम साहब की ऐसी क्या मजबूरी थी कि लंबे समय से चल रहे प्रकरण को आने के महज दो महीने में ही केस खारिज कर दिया गया ।।
सवालिया निशान तो यह उठता नजर आ रहा है कि पत्थलगांव में पोस्टिंग के महज दो महीने के बाद आदिवासी की भूमि को बिना सूचना दिए बिना उपस्थित के तारीख से पहले ही फैसला सुना देना यह कैसा न्याय ।।
राजस्व विभाग के अधिकारी पत्थलगांव एस. डी. एम. रितु राज सिंग बिसेन किस दबाव में आकर यह फैसला कर सकते हैं ।।
मामला जशपुर जिले का मुख्यमंत्री के गृह जिले का है जिले का नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के निवास पत्थलगांव विधानसभा का भी है कि अगर जिले के प्रशासनिक अधिकारी ही आदिवासियों के जमीन का शोषण होने से नहीं रोक सकते तो आगे क्या होगा ??
2 Comments
Pathalgaon ka to alag hi najara dekhne or sunne ko milta hai bhaiya
Ye to aap sahi bole h sir