
बात 70 के दशक की थी जब ग्राम तमता के एक छोटे से कारोबारी कपूरचंद अग्रवाल का बड़ा बेटा श्री रामकरण गुप्ता इंजीनियर बनकर शहर से आया । जिससे पूरे परिवार और खानदान मे खुशी का ठिकाना नही था । किन्तु अचानक देश की राजनिती मे एक बड़ा भू-चाल आया , और देश के राष्ट्रपति फखरुदीन अली अहमद ने 25 जून 1975 को तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा पेश आपातकाल के अध्यादेश मे हस्ताक्षर कर दिये ।भारतीय संविधान की धारा 352 का दुरुपयोग करके देश के इतिहास मे एक काला अध्याय जुड़ते ही नागरिकों के मूल अधिकारों को समाप्त कर दिया गया । समाचार पत्रों पर पाबन्दी लग गयी , लोगों के विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाला उपबन्ध समाप्त कर दिया गया ।


सारे देश में हाहाकार मच गया था तत्कालिन मध्यप्रदेश के रायगढ़ जिले (जशपुर जिला सामिल) मे प्रशासन के अत्याचारों की शुरुवात हुई । पूरे रायगढ़ जिले में उस समय कांग्रेस का वर्चस्व था और कोई भी आपातकाल का विरोध करने के लिए सामने नही आ रहा था । ऐसे नाजूक समय मे उच्च शिक्षित युवा रामकरण गुप्ता अकेले ने ही देश के संविधान को पुनस्थापित करने का झंडा उठाते हुये केन्द्र सरकार से टक्कर लेने की ठानी ।इंदिरा गांधी द्वारा पूरे देश में आपातकाल के नाम से दमन चक्र शुरू किया गया और रामकरण गुप्ता सहित उसके सभी सांथियों को रायगढ़ जिला जेल में 21 माह तक बंद कर अनेकों यातनाएं दी गयी । देश के कुछ हिस्सों में माफीनामा लिखवाकर कुछ मिसाबन्दीयों को जेल से रिहा किया गया । किन्तु संविधान के प्रति निष्ठा दोहराते हुये रामकरण गुप्ता ने अपने परिवार के भारी दबाव के बावजूद माफीनामे पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया और जेल मे यातना सहते हुये जेल से ही 21 महिने तक आपातकाल हटाने का आंदोलन जेल से ही करते रहे ।

जिससे पूरे छ०ग० मे आपातकाल के विरुद्ध माहौल तैयार हुआ जेल से रिहा होने के बाद रामकरण गुप्ता द्वारा जनसंघ की सदस्यता लेकर कांग्रेस के भ्रष्टाचार और अत्याचारों के विरुद्ध उंचे स्वर से आवाज उठाई । जनसंघ तथा बाद मे भाजपा मे संगठन के शिल्पी की तरह पार्टी को तरासने का काम रामकरण गुप्ता द्वारा 3 दशकों तक किया गया । इस अवधी में उनके द्वारा सैंकड़ो पदयात्राएं एवं धरना प्रदर्शन करते हुए आज की भाजपा की मजबूत निव तैयार की तथा उन्होने भाजपा सरकार के किसी भी लाभकारी पद को स्वीकार नही करते हुए नि:स्वार्थ आजीवन संगठन का कार्य किया , गुप्ता जैसे अनेकों कार्यकर्ताओं के बलिदान के कारण ही देश मे आज नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व मे ये राष्ट्रवादी सरकार चल रही है ।10 मार्च 2015 को इस राष्ट्रवादी नेता रामकरण गुप्ता का पत्थलगांव में निधन हो गया उनके चले जाने के बाद राजनिती में हुई रिक्तता की भरपाई आज तक नही हो पायी मूलतः रामकरण गुप्ता किसी व्यक्ति का नाम नही बल्की एक संघर्ष भरी उस विचारधारा का नाम है । जो प्रतिकूल समय मे भी संविधान और राष्ट्र रक्षा करने की प्रेरणा देती है ओजस्वी , जुझारु और क्रांतिकारी नेता स्व० रामकरण गुप्ता की आज 8 वीं पुण्यतिथी पर मेरा सस्नेह स्मरण और शत् शत् नमन…!!उपरोक्त लेख पत्थलगांव के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री बजरंग शर्मा जी द्वारा प्रकाशित है , जिसे आज हमारे पोर्टल में चलाया गया है ।

