

ख़बर टाइम्स छत्तीसगढ़

*धरमजयगढ़।* शासन जनता की भलाई के लिए संसाधन भेजता है, लेकिन धरमजयगढ़ नगर पंचायत में यही संसाधन ‘जनता की सेवा’ के बजाय ‘जुगाड़ और जुर्म की सेवा’ में लग गए हैं। बिजली-सड़क सुधारने के लिए आई मशीनें आज प्राइवेट कंपनियों के मुनाफे के लिए काम कर रही हैं, और अधिकारी बेहिचक काली कमाई कर रहे हैं। यह महज़ लापरवाही नहीं, खुली लूट है-और सबसे हैरानी की बात यह कि पूरा नगर परिषद शांत बैठा है!
*सरकारी स्काईलिफ्टर, ठेकेदारों की गुलामी में :* नगर पंचायत की स्काईलिफ्टर मशीन का काम था स्ट्रीट-लाइट दुरुस्त करना, मगर इन दिनों यह मशीन मलका कंपनी के बिजली-पोल लगाने के लिए पेड़ काटने में लगी है। नगर के मिस्त्री और कर्मचारी शहर की बिजली छोड़ कर कंपनी के ठेकेदार की सेवा में जुटे हैं। नतीजा-गलियों में अंधेरा, अफसरों की जेब में चमक।
*न रसीद, न अनुमति-पूरा सिस्टम ‘काले’ धंधे में :* विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, स्काईलिफ्टर और जेसीबी मशीन के निजी उपयोग की एक भी रसीद कार्यालय में जारी नहीं हुई। यानी सरकारी मशीनें निजी काम पर लगी हैं और पैसा सीधे ‘साहब’ की जेब में जा रहा है। जेसीबी हो या स्काईलिफ्टर, दिन-भर निजी काम, शाम को सरकारी यार्ड में पार्क—और किसी से कुछ पूछा तक नहीं जाता।
*नियम किताबों में दफन, ‘मर्जी का राज’ ज़िंदा :* मशीनें आते समय नियम बना था कि निजी काम के लिए पहले फीस जमा कर रसीद ली जाएगी। अब साहब लोग खुद तय करते हैं कितनी रकम लेनी है; रसीद-की कोई ज़रूरत नहीं-नकद पकड़ाओ, मशीन ले जाओ। यह सेवा नहीं, संगठित चोरी है।
*नगर परिषद चुप क्यों? कौन है हिस्सेदार?*
* क्या नगर अध्यक्ष को खबर नहीं?
* पार्षदों ने आंखें क्यों मूंद रखी हैं?
* कहीं ‘हिस्सेदारी’ का खेल तो नहीं चल रहा?जनता को न पानी मिलता है, न सफाई, न रोशनी-पर जनप्रतिनिधि मौन हैं। यह चुप्पी बहुत कुछ कहती है।
*बस-स्टैंड में अवैध कब्ज़ा, पंचायत मूकदर्शक :* गर्मी में गन्ना-रस की अस्थायी दुकानों के लिए किराये पर जगह दी गई थी। दुकानें बंद हुए महीना हो चुका, पर प्लास्टिक की झोपड़ियाँ आज भी वहीं हैं। सवाल यह भी है कि दुकानदारों से वसूला गया किराया नगर पंचायत के खाते में जमा हुआ या नहीं?
*जनता पूछ रही है : क्या धरमजयगढ़ नगर पंचायत बिक गई है?** सरकारी संसाधनों की लूट* जनप्रतिनिधियों की चुप्पी* प्रशासनिक बेईमानीअब वक़्त आ गया है कि जनता सड़कों पर उतरकर सवाल पूछे और अफ़सरों-प्रतिनिधियों से हिसाब मांगे।
🛑 मांग: तत्काल उच्चस्तरीय जांच, दोषियों पर FIR, और नगर परिषद की जवाबदेही तय की जाए। वरना जनता जवाब लेना जानती है- और कुर्सी हिलाना भी।